Chapter 10 – झाँसी की रानी
Lairikpro
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Page No 98:
Question 1:
‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
Answer:
(क) इस पंक्ति में लेखिका ने झाँसी के राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु के कारण रानी के विधवा होने की ओर संकेत किया है।
(ख) इस पंक्ति में लेखिका ने रानी के सुख पर दुःख की छाया को दर्शाया है।
राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु से उनके जीवन में दुःखों का पहाड़ टूट गया था। एक तो उनके सुहाग को काल ने अपना ग्रास बना लिया दूसरा राजा के मरते ही झाँसी लावारिस हो गई। निसंतान राजा की मृत्यु ने अंग्रेज़ों को झाँसी पर कब्ज़ा करने का सुअवसर दे दिया। जिससे रानी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
Question 2:
कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
Answer:
लेखिका के अनुसार उस समय भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उसकी दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। अंग्रेज़ धीरे-धीरे पूरे भारत को अपना गुलाम बनाने पर लगे हुए थे। परन्तु उस गुलामी को स्वीकार न करने वाली और आज़ादी का बिगुल बजाने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। उनकी इसी वीरता ने सब के मन में एक नया उत्साह भर दिया था कि एक स्त्री अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए तैयार है तो फिर क्यों ना हम स्वयं इस गुलामी के विरूद्ध आवाज़ उठाए। तब इस गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए भारत (बूढ़े भारत) में रानी लक्ष्मी ने नया उत्साह और वीरता फूँक दी; (नई जवानी दी) जिसने सन् अठारह सौ सत्तावन में अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए।
Question 3:
झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?
Answer:
झाँसी की रानी के बचपन का नाम छबीली था उनका बचपन शस्त्र चलाने, घुड़सवारी सीखने, युद्ध कला सीखने में बीता। उन्होनें यह शिक्षा नाना के साथ प्राप्त की, जब वह कुछ बड़ी हुई तो उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हो गया। परन्तु जल्द ही राजा की आकस्मिक मृत्यु ने रानी को विधवा बना दिया। राजा के संतानहीन होने का लाभ उठाकर उनकी मृत्यु के पश्चात् अंग्रेज़ों ने झाँसी पर अधिकार जमाने का प्रयास किया। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। और इसी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई और भारतीय इतिहास में वीरांगना कहलाई। रानी का बचपन, हमारे बचपन से कई मायने में अलग था। उन्होनें गुड्डे गुड़ियों से न खेलकर तीर, तलवार, भाला, बरछी चलाना सीखा जिससे आगे चलकर रानी का गौरवपूर्ण इतिहास बना।
Question 4:
वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।
Answer:
रानी की इस कहानी में निम्नलिखित वीर पुरूषों के नाम हैं :- नाना धुंधूपंत, अहमदशाह मौलवी, ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवरसिंह आदि।
इतिहास में कुछ वीर स्त्रियाँ हैं:- कित्तूर की रानी चेनम्मा, श्रीमति इंदिरा गाँधी, सरोजनी नायडू आदि।
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Question 5:
झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
Answer:
झाँसी की रानी के जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि आज़ादी स्वयं में एक मूल्यवान वस्तु है। इसको बनाए रखने के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। रानी लक्ष्मीबाई चाहती तो अंग्रेज़ों की बात मानकर आराम से अपना जीवन यापन कर सकती थीं परन्तु उन्होंने इसके विरूद्ध जाकर उनसे युद्ध लड़ा और सबको चेताया कि स्वयं के स्वार्थ को छोड़कर हमें देश के, राष्ट्र के हित में सोचना चाहिए। फिर चाहे स्वयं को इसके लिए न्योछावर ही क्यों न करना पड़े।
Question 6:
अंग्रेज़ों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय किस प्रकार दिया?
Answer:
अंग्रेज़ों ने यह नीति बना रखी थी कि जिस भी राज्य का राजा संतानहीन हो या कमज़ोर हो उस पर ब्रिटिश सरकार अपना अधिकार कर लेगी। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और उनके आधीन रहना स्वीकार न कर उनसे लड़ना स्वीकार किया। अपनी अंतिम साँस तक भी वो अंग्रेज़ों के आगे झुकी नहीं और वीरता से लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हुईं।
Question 7:
रानी के विधवा होने पर डलहौज़ी क्यों प्रसन्न हुआ? उसने क्या किया?
Answer:
डलहौज़ी जानता था कि राजा गंगाधर राव निसंतान थे। अंग्रेज़ों ने वैसे ही एक नीति बनाई थी कि जिस राजा कि संतान नहीं होगी उसको अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया जाएगा। संतानहीन झाँसी के राजा की मृत्यु का समाचार पाकर तो डलहौज़ी के लिए सोने पे सुहागा वाली बात थी। उसे लगा एक निसंतान राजा की विधवा क्या कर पाएगी। उसने तुरन्त ही झाँसी पर कब्ज़ा करने का मन बना लिया और झाँसी पहुँच गया।
Question 8:
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो-
(क) गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
Answer:
(क) गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी।
इस पंक्ति के द्वारा उस समय के भारत की अवस्था को वर्णित किया गया है। जब अंग्रेज़ों ने अपनी कूटनीतियों के दम पर भारत को अपना गुलाम बना लिया था। कोई भी उनका विरोध करने का साहस न करता और चुपचाप गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए बैठे रहते। परन्तु रानी लक्ष्मीबाई के विरोध ने सारे भारत को झकझोर दिया। तब भारत की निंद्रा जागी कि जब एक स्त्री लक्ष्मीबाई इनका विरोध कर सकती है तो हम क्यों नहीं, हम क्यों इस गुलामी में जिए हमें भी अपनी स्वतंत्रता प्यारी है और पूरे भारत में स्वतंत्रता की लहर दौड़ पड़ी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अंग्रेज़ों ने भारत के राज्यों पर कब्ज़ा करने के लिए एक नीति बनाई कि जो राजा संतानहीन होगा उस राज्य को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाएगा। झाँसी के राजा की मृत्यु्, अंग्रेज़ों के लिए सोने पे सुहागा वाली बात थी। वो बिना वक्त गवाएँ रानी लक्ष्मीबाई के पास झाँसी पहुँच गए कि अब इस राज्य को चलाने के लिए कोई उत्तराधिकारी नहीं है तो अब ये ब्रिटिश सरकार के अधीन कर लिया जायेगा। वे स्वंय इस राज्य का कार्यभार सँभालेंगे।
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Question 1:
‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
Answer:
(क) इस पंक्ति में लेखिका ने झाँसी के राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु के कारण रानी के विधवा होने की ओर संकेत किया है।
(ख) इस पंक्ति में लेखिका ने रानी के सुख पर दुःख की छाया को दर्शाया है।
राजा गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु से उनके जीवन में दुःखों का पहाड़ टूट गया था। एक तो उनके सुहाग को काल ने अपना ग्रास बना लिया दूसरा राजा के मरते ही झाँसी लावारिस हो गई। निसंतान राजा की मृत्यु ने अंग्रेज़ों को झाँसी पर कब्ज़ा करने का सुअवसर दे दिया। जिससे रानी पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
Question 2:
कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
Answer:
लेखिका के अनुसार उस समय भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उसकी दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। अंग्रेज़ धीरे-धीरे पूरे भारत को अपना गुलाम बनाने पर लगे हुए थे। परन्तु उस गुलामी को स्वीकार न करने वाली और आज़ादी का बिगुल बजाने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। उनकी इसी वीरता ने सब के मन में एक नया उत्साह भर दिया था कि एक स्त्री अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए तैयार है तो फिर क्यों ना हम स्वयं इस गुलामी के विरूद्ध आवाज़ उठाए। तब इस गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए भारत (बूढ़े भारत) में रानी लक्ष्मी ने नया उत्साह और वीरता फूँक दी; (नई जवानी दी) जिसने सन् अठारह सौ सत्तावन में अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए।
Question 3:
झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?
Answer:
झाँसी की रानी के बचपन का नाम छबीली था उनका बचपन शस्त्र चलाने, घुड़सवारी सीखने, युद्ध कला सीखने में बीता। उन्होनें यह शिक्षा नाना के साथ प्राप्त की, जब वह कुछ बड़ी हुई तो उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हो गया। परन्तु जल्द ही राजा की आकस्मिक मृत्यु ने रानी को विधवा बना दिया। राजा के संतानहीन होने का लाभ उठाकर उनकी मृत्यु के पश्चात् अंग्रेज़ों ने झाँसी पर अधिकार जमाने का प्रयास किया। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और अंग्रेज़ों के विरूद्ध अपनी तलवार खींच ली। और इसी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई और भारतीय इतिहास में वीरांगना कहलाई। रानी का बचपन, हमारे बचपन से कई मायने में अलग था। उन्होनें गुड्डे गुड़ियों से न खेलकर तीर, तलवार, भाला, बरछी चलाना सीखा जिससे आगे चलकर रानी का गौरवपूर्ण इतिहास बना।
Question 4:
वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।
Answer:
रानी की इस कहानी में निम्नलिखित वीर पुरूषों के नाम हैं :- नाना धुंधूपंत, अहमदशाह मौलवी, ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवरसिंह आदि।
इतिहास में कुछ वीर स्त्रियाँ हैं:- कित्तूर की रानी चेनम्मा, श्रीमति इंदिरा गाँधी, सरोजनी नायडू आदि।
Page No 99:
Question 5:
झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
Answer:
झाँसी की रानी के जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि आज़ादी स्वयं में एक मूल्यवान वस्तु है। इसको बनाए रखने के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। रानी लक्ष्मीबाई चाहती तो अंग्रेज़ों की बात मानकर आराम से अपना जीवन यापन कर सकती थीं परन्तु उन्होंने इसके विरूद्ध जाकर उनसे युद्ध लड़ा और सबको चेताया कि स्वयं के स्वार्थ को छोड़कर हमें देश के, राष्ट्र के हित में सोचना चाहिए। फिर चाहे स्वयं को इसके लिए न्योछावर ही क्यों न करना पड़े।
Question 6:
अंग्रेज़ों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय किस प्रकार दिया?
Answer:
अंग्रेज़ों ने यह नीति बना रखी थी कि जिस भी राज्य का राजा संतानहीन हो या कमज़ोर हो उस पर ब्रिटिश सरकार अपना अधिकार कर लेगी। परन्तु रानी ने इसका विरोध किया और उनके आधीन रहना स्वीकार न कर उनसे लड़ना स्वीकार किया। अपनी अंतिम साँस तक भी वो अंग्रेज़ों के आगे झुकी नहीं और वीरता से लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हुईं।
Question 7:
रानी के विधवा होने पर डलहौज़ी क्यों प्रसन्न हुआ? उसने क्या किया?
Answer:
डलहौज़ी जानता था कि राजा गंगाधर राव निसंतान थे। अंग्रेज़ों ने वैसे ही एक नीति बनाई थी कि जिस राजा कि संतान नहीं होगी उसको अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया जाएगा। संतानहीन झाँसी के राजा की मृत्यु का समाचार पाकर तो डलहौज़ी के लिए सोने पे सुहागा वाली बात थी। उसे लगा एक निसंतान राजा की विधवा क्या कर पाएगी। उसने तुरन्त ही झाँसी पर कब्ज़ा करने का मन बना लिया और झाँसी पहुँच गया।
Question 8:
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो-
(क) गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
Answer:
(क) गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी।
इस पंक्ति के द्वारा उस समय के भारत की अवस्था को वर्णित किया गया है। जब अंग्रेज़ों ने अपनी कूटनीतियों के दम पर भारत को अपना गुलाम बना लिया था। कोई भी उनका विरोध करने का साहस न करता और चुपचाप गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए बैठे रहते। परन्तु रानी लक्ष्मीबाई के विरोध ने सारे भारत को झकझोर दिया। तब भारत की निंद्रा जागी कि जब एक स्त्री लक्ष्मीबाई इनका विरोध कर सकती है तो हम क्यों नहीं, हम क्यों इस गुलामी में जिए हमें भी अपनी स्वतंत्रता प्यारी है और पूरे भारत में स्वतंत्रता की लहर दौड़ पड़ी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अंग्रेज़ों ने भारत के राज्यों पर कब्ज़ा करने के लिए एक नीति बनाई कि जो राजा संतानहीन होगा उस राज्य को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाएगा। झाँसी के राजा की मृत्यु्, अंग्रेज़ों के लिए सोने पे सुहागा वाली बात थी। वो बिना वक्त गवाएँ रानी लक्ष्मीबाई के पास झाँसी पहुँच गए कि अब इस राज्य को चलाने के लिए कोई उत्तराधिकारी नहीं है तो अब ये ब्रिटिश सरकार के अधीन कर लिया जायेगा। वे स्वंय इस राज्य का कार्यभार सँभालेंगे।
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