Chapter 17 – साँस-साँस में बाँस
Lairikpro
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Question 1:
कौन सा बाँस काटा जाता है और क्यों? या बाँस को बूढ़ा कब कहा जा सकता है? बूढ़े बाँस में कौन सी विशेषता होती है जो युवा बाँस में नहीं पाई जाती?
Answer:
एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस बूढ़े बाँस कहलाते हैं। ये सख्त होते हैं इसलिए आसानी से टूट जाते हैं। इसके विपरीत युवा बाँस लचीला होता है। ये आसानी से नहीं टूटता।
Question 2:
बाँस से बनाई जाने वाली चीज़ों में सबसे आश्चर्यजनक चीज़ तुम्हें कौन सी लगी और क्यों ?
Answer:
वैसे तो बाँस से विभिन्न तरह की चीज़ें बनती हैं। जैसे- टोकरी, चटाई, बर्तन, इत्यादि पर उनसे बनी हुई विभिन्न आकृतियों वाली टोकरियों, टेबल लैंप आश्चर्यजनक लगते हैं। बाँस से बत्तख, चिड़िया जैसी टोकरियाँ बहुत सुंदर लगती हैं। वो आकृतियाँ इतनी सजीव होती हैं कि विश्वास करना मुश्किल होता है। उसी प्रकार बाँस से बने टेबल लैम्प भी विभिन्न आकारों के होते हैं; कोई चकौर तो कोई गोल तो कोई अण्डाकार होता है। इस तरह हाथों से बनी हुई बाँस की बुनाई आश्चर्यजनक व सही में सम्मान देने योग्य है।
Question 3:
बाँस की बुनाई मानव के इतिहास में कब आरंभ हुई होगी?
Answer:
कहा जाता है मानव और बाँस की बुनाई का रिश्ता तब से आरम्भ माना जाता है, जब से मनुष्य ने भोजन इकट्ठा करना शुरू किया। इसके लिए उसको सामान रखने के लिए एक छोटी टोकरी की आवश्यकता रही हो, ये भी हो सकता है उसने ये प्रेरणा चिड़िया के घोसलें से प्राप्त की हो और उसी से ये बुनाई सीखकर बुनाई करना आरम्भ किया हो।
Question 4:
बाँस के विभिन्न उपयोगों से संबंधित जानकारी देश के किस भू-भाग के संदर्भ में दी गई है? एटलस में देखो।
Answer:
पाठ में उत्तर-पूर्वी स्थानों के सात राज्यों के बारे में बताया गया है। यहाँ पर बाँस का बहुत प्रयोग होता है। इसमें विशेष तौर पर उत्तर-पूर्वी स्थान के एक क्षेत्र नागालैंड की बात की गई है।
Question 1:
बाँस के कई उपयोग इस पाठ में बताए गए हैं। लेकिन बाँस के उपयोग का दायरा बहुत बड़ा है। नीचे दिए गए शब्दों की मदद से तुम इस दायरे को पहचान सकते हो-
• संगीत • मच्छर • फर्नीचर • प्रकाशन
Answer:
संगीत – बाँस के बने वाद्य यंत्र। मच्छर – मच्छरदानी के बाँस। फर्नीचर – फर्नीचर के बाँस। प्रकाशन – बाँस का बुरादा किताब या कागज़ बनाने के लिए।
Question 2:
इस लेख में दैनिक उपयोग की चीज़ें बनाने के लिए बाँस का उल्लेख प्राकृतिक संसाधन के रूप में हुआ है। नीचे दिए गए प्राकृतिक संसाधन से दैनिक उपयोग की कौन-कौन सी चीज़ें बनाई जाती है –
प्राकृतिक संसाधन दैनिक उपयोग की वस्तुएँ
• चमड़ा ……………………………. • घास के तिनके ……………………………. • पेड़ की छाल ……………………………. • गोबर ……………………………. • मिट्टी …………………………….
इनमें से किन्हीं एक या दो प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए कोई एक चीज़ बनाने का तरीका अपने शब्दों में लिखो।
Answer:
प्राकृतिक संसाधन | दैनिक उपयोग की वस्तुएँ | विधि |
चमड़ा | जूता, बेल्ट, बैग | चमड़े को मोची द्वारा पहले आकार दिया जाता है। फिर उसे विभिन्न टुकड़ों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को मशीनों की सहायता से आपस में जोड़ा जाता है, इन्हें सुंदर बनाने के लिए इनमें सिलाइयाँ लगाई जाती है। तब जाकर विभिन्न प्रकार के जूते बनते हैं। |
घास के तिनके | झाड़ू, खिलौने, | इससे झाड़ू बनाने के लिए सबसे पहले बड़ी-बड़ी घासों के तिनकों को इकट्ठा कीजिए। जब ये इकट्ठी हो जाए, तो इन्हें किसी की सहायता से बाँध लीजिए। बस आपकी घास की झाड़ू तैयार है। |
पेड़ की छाल | कागज़ | – |
गोबर | उपले | सारे गोबर को इकट्ठा कर लीजिए। इसे हाथों में थोड़ा-थो़ड़ी लेकर रोटी के समान दोनों हाथों के मध्य गोल फैलाते गोल आकार दीजिए। जब यह बड़ा हो जाए, तो जमीन या दीवार पर चिपका दीजिए। अब इसे करीब-करीब एक सप्ताह सूखने दीजिए। आपके उपले तैयार हैं। |
मिट्टी | मकान, मूर्ति | – |
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Question 3:
जिन जगहों की साँस में बाँस बसा है, अखबार और टेलीविजन के ज़रिए उन जगहों की कैसी तसवीर तुम्हारे मन में बनती है?
Answer:
हमें लगता है कि वहाँ दूर-दूर तक बाँस ही बाँस उगा होगा। वहाँ लोग समूहों में बाँस से सामान बना रहे होगें। उनके घर की प्रत्येक वस्तु बाँस से बनी होगी। उनके घर, बर्तन, व्यंजन सबके अंदर बाँस का प्रयोग होता होगा। यह कल्पना हमें रोमांचित कर देती है। मुझे वहाँ जाने का मन करता है।
Question 1:
इस पाठ में कई हिस्से हैं जहाँ किसी काम को करने का तरीका समझाया गया है? जैसे-
छोटी मछलियाँ को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा जाता है या फिर धीरे-धीरे चलते हुए खींचा जाता है। बाँस की खपच्चियों को इस तरह बाँधा जाता है कि वे एक शंकु का आकार ले लें। इस शंकु का ऊपरी सिरा अंडाकार होता है। निचले नुकीले सिरे पर खपच्चियाँ एक-दूसरे में गुँथी हुई होती हैं।
- इस वर्णन को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर अनुमान लगाकर दो। यदि अंदाज़ लगाने में दिक्कत हो तो आपस में बातचीत करके सोचो-
(क) बाँस से बनाए गए शंकु के आकार का जाल छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है? (ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडाकार होता है तो नीचे का हिस्सा कैसा दिखाई देता है? (ग) इस जाल से मछली पकड़ने वालों को धीरे-धीरे क्यों चलना पड़ता है?
Answer:
(क) छोटी मछलियाँ अपने आकार के कारण सरलतापूर्वक जाल से निकल जाती हैं। इसके विपरीत यदि किसी चौड़े जाल में रखा जाएगा, तो वे उछल के बाहर आ जाएँगी। शंकु के आकार के जाल में से पानी सरलता से निकल जाता है। मछलियाँ इसके छिद्रों से बाहर नहीं निकल पाती हैं। यह थोड़ा गहरा होता है, अतः मछली इसके तल में रह जाती हैं और उछलकर बाहर नहीं आ पाती हैं।
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडकारा होता है, तो नीचे का हिस्सा नुकीला होतो है। यह एक त्रिभुज के समान दिखाई देता है। ‘˅’ इस चिह्न के समान दिखाई देगा।
(ग) इस तरह धीरे-धीरे चलकर जाल को खींचा जाता है। मछलियाँ जाल में फंस जाती हैं।
Question 1:
हाथों की कलाकारी | घनघोर बारिश | बुनाई का सफ़र |
आड़ा-तिरछा | डलियानुमा | कहे मुताबिक |
- इन वाक्यांशों का वाक्यों में प्रयोग करो।
Answer:
1. हाथों की कलाकारी- तुमने बहुत सुंदर मेज़पोश बनाया है। तुम्हारे हाथों की कलाकारी को मानना पड़ेगा। 2. घनघोर बारिश- आज दिल्ली में घनघोर बारिश हो रही है। 3. बुनाई का स़फर- मेरी बुनाई का सफ़र 20 साल पुराना है। 4. आड़ा-तिरछा- ढंग से बनाओ। ये क्या आड़ा-तिरछा बना रहे हो। 5. डलियानुमा- मेरे पास डलियानुमा बर्तन है। 6. कहे मुताबिक- गोविंद को मेरे कहे मुताबिक चलना पड़ेगा।
Question 1:
‘बनावट’ शब्द ‘बुन’ क्रिया में ‘आवट’ प्रत्यय जोड़ने से बनता है। इसी प्रकार नुकीला, दबाव, घिसाई भी मूल शब्द में विभिन्न प्रत्यय जोड़ने से बने हैं। इन चारों शब्दों में प्रत्ययों को पहचानो और उन से तीन-तीन शब्द और बनाओ। इन शब्दों का वाक्यों में भी प्रयोग करो-
बुनावट | नुकीला | दबाव | घिसाई |
Answer:
(i) | बुनावट | – | बुन + आवट | :- | सजावट | बनावट | मिलावट |
(ii) | नुकीला | – | नुक + ईला | :- | रंगीला | सजीला | नशीला |
(iii) | दबाव | – | दब + आव | :- | चुनाव | सुझाव | बनाव |
(iv) | घिसाई | – | घिस + आई | :- | पढ़ाई | भलाई | रूलाई |
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Question 2:
नीचे पाठ से कुछ वाक्य दिए गए हैं – (क) वहाँ बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी खूब है। (ख) हम यहाँ बाँस की एक-दो चीज़ों का ही ज़िक्र कर पाए हैं। (ग) मसलन आसन जैसी छोटी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है। (घ) खपच्चियों से तरह-तरह की टोपियाँ भी बनाई जाती हैं। रेखांकित शब्दों को ध्यान में रखते हुए इन बातों को अलग ढंग से लिखो।
Answer:
(क) बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी वहाँ खूब है। (ख) हम जिक्र ही बाँस की एक-दो चीज़ों का कर पाए। (ग) हरेक गठान से बाँस को काटा जाता है; मसलन आसन जैसी छोटी चीज़ें बनाने के लिए। (घ) तरह-तरह की टोपियाँ भी खपच्चियों से बनाई जाती हैं।
Question 3:
तर्जनी हाथ की किस उँगली को कहते हैं? बाकी उँगलियों को क्या कहते हैं? सभी उँगलियों के नाम अपनी भाषा में पता करो और कक्षा में अपने साथियों और शिक्षक को बताओ।
Answer:
हिन्दी में सभी उँगलियों के नाम इस प्रकार हैं।-
अंगुष्ठा | – | अंगुठा |
तर्जनी | – | अंगुठे के साथ वाली उगंली |
मध्यमा | – | बीच वाली उगंली |
अनामिका | – | जिसमें सगाई की अंगुठी पहनाई जाती है |
कनिष्ठा | – | छोटी उगंली |
(नोटः विद्यार्थी अपने माता-पिता से पूछकर अपनी भाषा में इन उँगलियों का नाम भी लिखें।)
Question 4:
अंगुष्ठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा- ये पाँच उँगलियों के नाम हैं। इन्हें पहचान कर सही क्रम में लिखो।
Answer:
अंगुष्ठा | – | अंगुठा |
तर्जनी | – | अंगुठे के साथ वाली उगंली |
मध्यमा | – | बीच वाली उगंली |
अनामिका | – | जिसमें सगाई की अंगुठी पहनाई जाती है |
कनिष्ठा | – | छोटी उगंली |
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Question 1:
कौन सा बाँस काटा जाता है और क्यों? या बाँस को बूढ़ा कब कहा जा सकता है? बूढ़े बाँस में कौन सी विशेषता होती है जो युवा बाँस में नहीं पाई जाती?
Answer:
एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस बूढ़े बाँस कहलाते हैं। ये सख्त होते हैं इसलिए आसानी से टूट जाते हैं। इसके विपरीत युवा बाँस लचीला होता है। ये आसानी से नहीं टूटता।
Question 2:
बाँस से बनाई जाने वाली चीज़ों में सबसे आश्चर्यजनक चीज़ तुम्हें कौन सी लगी और क्यों ?
Answer:
वैसे तो बाँस से विभिन्न तरह की चीज़ें बनती हैं। जैसे- टोकरी, चटाई, बर्तन, इत्यादि पर उनसे बनी हुई विभिन्न आकृतियों वाली टोकरियों, टेबल लैंप आश्चर्यजनक लगते हैं। बाँस से बत्तख, चिड़िया जैसी टोकरियाँ बहुत सुंदर लगती हैं। वो आकृतियाँ इतनी सजीव होती हैं कि विश्वास करना मुश्किल होता है। उसी प्रकार बाँस से बने टेबल लैम्प भी विभिन्न आकारों के होते हैं; कोई चकौर तो कोई गोल तो कोई अण्डाकार होता है। इस तरह हाथों से बनी हुई बाँस की बुनाई आश्चर्यजनक व सही में सम्मान देने योग्य है।
Question 3:
बाँस की बुनाई मानव के इतिहास में कब आरंभ हुई होगी?
Answer:
कहा जाता है मानव और बाँस की बुनाई का रिश्ता तब से आरम्भ माना जाता है, जब से मनुष्य ने भोजन इकट्ठा करना शुरू किया। इसके लिए उसको सामान रखने के लिए एक छोटी टोकरी की आवश्यकता रही हो, ये भी हो सकता है उसने ये प्रेरणा चिड़िया के घोसलें से प्राप्त की हो और उसी से ये बुनाई सीखकर बुनाई करना आरम्भ किया हो।
Question 4:
बाँस के विभिन्न उपयोगों से संबंधित जानकारी देश के किस भू-भाग के संदर्भ में दी गई है? एटलस में देखो।
Answer:
पाठ में उत्तर-पूर्वी स्थानों के सात राज्यों के बारे में बताया गया है। यहाँ पर बाँस का बहुत प्रयोग होता है। इसमें विशेष तौर पर उत्तर-पूर्वी स्थान के एक क्षेत्र नागालैंड की बात की गई है।
Question 1:
बाँस के कई उपयोग इस पाठ में बताए गए हैं। लेकिन बाँस के उपयोग का दायरा बहुत बड़ा है। नीचे दिए गए शब्दों की मदद से तुम इस दायरे को पहचान सकते हो-
• संगीत • मच्छर • फर्नीचर • प्रकाशन
Answer:
संगीत – बाँस के बने वाद्य यंत्र। मच्छर – मच्छरदानी के बाँस। फर्नीचर – फर्नीचर के बाँस। प्रकाशन – बाँस का बुरादा किताब या कागज़ बनाने के लिए।
Question 2:
इस लेख में दैनिक उपयोग की चीज़ें बनाने के लिए बाँस का उल्लेख प्राकृतिक संसाधन के रूप में हुआ है। नीचे दिए गए प्राकृतिक संसाधन से दैनिक उपयोग की कौन-कौन सी चीज़ें बनाई जाती है –
प्राकृतिक संसाधन दैनिक उपयोग की वस्तुएँ
• चमड़ा ……………………………. • घास के तिनके ……………………………. • पेड़ की छाल ……………………………. • गोबर ……………………………. • मिट्टी …………………………….
इनमें से किन्हीं एक या दो प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए कोई एक चीज़ बनाने का तरीका अपने शब्दों में लिखो।
Answer:
प्राकृतिक संसाधन | दैनिक उपयोग की वस्तुएँ | विधि |
चमड़ा | जूता, बेल्ट, बैग | चमड़े को मोची द्वारा पहले आकार दिया जाता है। फिर उसे विभिन्न टुकड़ों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को मशीनों की सहायता से आपस में जोड़ा जाता है, इन्हें सुंदर बनाने के लिए इनमें सिलाइयाँ लगाई जाती है। तब जाकर विभिन्न प्रकार के जूते बनते हैं। |
घास के तिनके | झाड़ू, खिलौने, | इससे झाड़ू बनाने के लिए सबसे पहले बड़ी-बड़ी घासों के तिनकों को इकट्ठा कीजिए। जब ये इकट्ठी हो जाए, तो इन्हें किसी की सहायता से बाँध लीजिए। बस आपकी घास की झाड़ू तैयार है। |
पेड़ की छाल | कागज़ | – |
गोबर | उपले | सारे गोबर को इकट्ठा कर लीजिए। इसे हाथों में थोड़ा-थो़ड़ी लेकर रोटी के समान दोनों हाथों के मध्य गोल फैलाते गोल आकार दीजिए। जब यह बड़ा हो जाए, तो जमीन या दीवार पर चिपका दीजिए। अब इसे करीब-करीब एक सप्ताह सूखने दीजिए। आपके उपले तैयार हैं। |
मिट्टी | मकान, मूर्ति | – |
Page No 123:
Question 3:
जिन जगहों की साँस में बाँस बसा है, अखबार और टेलीविजन के ज़रिए उन जगहों की कैसी तसवीर तुम्हारे मन में बनती है?
Answer:
हमें लगता है कि वहाँ दूर-दूर तक बाँस ही बाँस उगा होगा। वहाँ लोग समूहों में बाँस से सामान बना रहे होगें। उनके घर की प्रत्येक वस्तु बाँस से बनी होगी। उनके घर, बर्तन, व्यंजन सबके अंदर बाँस का प्रयोग होता होगा। यह कल्पना हमें रोमांचित कर देती है। मुझे वहाँ जाने का मन करता है।
Question 1:
इस पाठ में कई हिस्से हैं जहाँ किसी काम को करने का तरीका समझाया गया है? जैसे-
छोटी मछलियाँ को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा जाता है या फिर धीरे-धीरे चलते हुए खींचा जाता है। बाँस की खपच्चियों को इस तरह बाँधा जाता है कि वे एक शंकु का आकार ले लें। इस शंकु का ऊपरी सिरा अंडाकार होता है। निचले नुकीले सिरे पर खपच्चियाँ एक-दूसरे में गुँथी हुई होती हैं।
- इस वर्णन को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर अनुमान लगाकर दो। यदि अंदाज़ लगाने में दिक्कत हो तो आपस में बातचीत करके सोचो-
(क) बाँस से बनाए गए शंकु के आकार का जाल छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है? (ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडाकार होता है तो नीचे का हिस्सा कैसा दिखाई देता है? (ग) इस जाल से मछली पकड़ने वालों को धीरे-धीरे क्यों चलना पड़ता है?
Answer:
(क) छोटी मछलियाँ अपने आकार के कारण सरलतापूर्वक जाल से निकल जाती हैं। इसके विपरीत यदि किसी चौड़े जाल में रखा जाएगा, तो वे उछल के बाहर आ जाएँगी। शंकु के आकार के जाल में से पानी सरलता से निकल जाता है। मछलियाँ इसके छिद्रों से बाहर नहीं निकल पाती हैं। यह थोड़ा गहरा होता है, अतः मछली इसके तल में रह जाती हैं और उछलकर बाहर नहीं आ पाती हैं।
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडकारा होता है, तो नीचे का हिस्सा नुकीला होतो है। यह एक त्रिभुज के समान दिखाई देता है। ‘˅’ इस चिह्न के समान दिखाई देगा।
(ग) इस तरह धीरे-धीरे चलकर जाल को खींचा जाता है। मछलियाँ जाल में फंस जाती हैं।
Question 1:
हाथों की कलाकारी | घनघोर बारिश | बुनाई का सफ़र |
आड़ा-तिरछा | डलियानुमा | कहे मुताबिक |
- इन वाक्यांशों का वाक्यों में प्रयोग करो।
Answer:
1. हाथों की कलाकारी- तुमने बहुत सुंदर मेज़पोश बनाया है। तुम्हारे हाथों की कलाकारी को मानना पड़ेगा। 2. घनघोर बारिश- आज दिल्ली में घनघोर बारिश हो रही है। 3. बुनाई का स़फर- मेरी बुनाई का सफ़र 20 साल पुराना है। 4. आड़ा-तिरछा- ढंग से बनाओ। ये क्या आड़ा-तिरछा बना रहे हो। 5. डलियानुमा- मेरे पास डलियानुमा बर्तन है। 6. कहे मुताबिक- गोविंद को मेरे कहे मुताबिक चलना पड़ेगा।
Question 1:
‘बनावट’ शब्द ‘बुन’ क्रिया में ‘आवट’ प्रत्यय जोड़ने से बनता है। इसी प्रकार नुकीला, दबाव, घिसाई भी मूल शब्द में विभिन्न प्रत्यय जोड़ने से बने हैं। इन चारों शब्दों में प्रत्ययों को पहचानो और उन से तीन-तीन शब्द और बनाओ। इन शब्दों का वाक्यों में भी प्रयोग करो-
बुनावट | नुकीला | दबाव | घिसाई |
Answer:
(i) | बुनावट | – | बुन + आवट | :- | सजावट | बनावट | मिलावट |
(ii) | नुकीला | – | नुक + ईला | :- | रंगीला | सजीला | नशीला |
(iii) | दबाव | – | दब + आव | :- | चुनाव | सुझाव | बनाव |
(iv) | घिसाई | – | घिस + आई | :- | पढ़ाई | भलाई | रूलाई |
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Question 2:
नीचे पाठ से कुछ वाक्य दिए गए हैं – (क) वहाँ बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी खूब है। (ख) हम यहाँ बाँस की एक-दो चीज़ों का ही ज़िक्र कर पाए हैं। (ग) मसलन आसन जैसी छोटी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है। (घ) खपच्चियों से तरह-तरह की टोपियाँ भी बनाई जाती हैं। रेखांकित शब्दों को ध्यान में रखते हुए इन बातों को अलग ढंग से लिखो।
Answer:
(क) बाँस की चीज़ें बनाने का चलन भी वहाँ खूब है। (ख) हम जिक्र ही बाँस की एक-दो चीज़ों का कर पाए। (ग) हरेक गठान से बाँस को काटा जाता है; मसलन आसन जैसी छोटी चीज़ें बनाने के लिए। (घ) तरह-तरह की टोपियाँ भी खपच्चियों से बनाई जाती हैं।
Question 3:
तर्जनी हाथ की किस उँगली को कहते हैं? बाकी उँगलियों को क्या कहते हैं? सभी उँगलियों के नाम अपनी भाषा में पता करो और कक्षा में अपने साथियों और शिक्षक को बताओ।
Answer:
हिन्दी में सभी उँगलियों के नाम इस प्रकार हैं।-
अंगुष्ठा | – | अंगुठा |
तर्जनी | – | अंगुठे के साथ वाली उगंली |
मध्यमा | – | बीच वाली उगंली |
अनामिका | – | जिसमें सगाई की अंगुठी पहनाई जाती है |
कनिष्ठा | – | छोटी उगंली |
(नोटः विद्यार्थी अपने माता-पिता से पूछकर अपनी भाषा में इन उँगलियों का नाम भी लिखें।)
Question 4:
अंगुष्ठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा- ये पाँच उँगलियों के नाम हैं। इन्हें पहचान कर सही क्रम में लिखो।
Answer:
अंगुष्ठा | – | अंगुठा |
तर्जनी | – | अंगुठे के साथ वाली उगंली |
मध्यमा | – | बीच वाली उगंली |
अनामिका | – | जिसमें सगाई की अंगुठी पहनाई जाती है |
कनिष्ठा | – | छोटी उगंली |
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